
क्या हुआ? तुम क्यों घबरा रहे हो
तुम बेरोजगार हो?
या कोई चल बसा है?
कुछ तो बताओ,
तुम्हारी चिंता का कारण क्या है?
तुम कहते हो 'जालिम'
तो तुम्हे बताता हूं
पल पल की खबर रखने वाले
गूढ़ ज्ञानी खबरी ने कहा है
कि बापू मर गए हैं
सबको छोड़ के तर गए हैं
लेकिन यह कैसे हो सकता है
बिन बापू गान्धी के
भारत कैसे जी सकता है
अंहिसा, धर्म, और प्रतिज्ञा
बिन बापू के
सत्याग्रह कैसे चल सकता है
भाई तुम्हारी जानकारी है आधी
राजघाट में बनी हुई है उनकी समाधी
पर उन सिद्धान्तो का क्या
जो बापू ने दिए थे
नेताजी सुभाष से अलंकृत
बापू राष्ट्रपिता बने थे
पर अब तो बस केवल
वोटों कि चोटों पर
बापू दिखते हैं नोटों पर
हर कोई अब गाली देता है
अधनगें फकीर की आधी धोती पर
युवा चुटकुले कहता है
परन्तु यह कैसे सम्भव है
गान्धी के चित्रों पर
फूलों का हार चढ़ता है
साबरमती में हर दिन
धूप और दीपक जलता है
हर कोई बापू बापू चिल्लाता है
गान्धीगिरी का आन्दोलन चलवाता है
तुम बच्चे हो मेरे भाई
यह जग बड़ा निराला है
बाहर से उजला उजला
अन्दर से काला है
बापू की राह पे चलोगे
तो कुछ नहीं होने वाला है
अब मैं चलता हूं
मुझे बापू पे भाषण देने जाना है
हाय यह क्या हो रहा है
हर कोई घड़याली आसूं रो रहा है
अब मैं किससे पुछूं
बापू आज कहां हैं
या फिर खबरी के मुताबिक
बापू सचमुच मर चुके हैं
सुनील जैसा मैंने उस दिन कहा था, गांधी की आज वैचारिक मौत भी हो चुकी है।
जवाब देंहटाएंसपना देखा गया था कि गांधी भले मर जाये पर गांधीवाद जीयेगा, पर हुआ उल्टा।
गांधी जिन्दा है, नोट पर, गालियों में, राजनीति में, पर गांधीवाद मर गया है।
बहुत अच्छी रचना।
पर अब तो बस केवल
जवाब देंहटाएंवोटों कि चोटों पर
बापू दिखते हैं नोटों पर
हर कोई अब गाली देता है
अधनगें फकीर की आधी धोती पर
युवा चुटकुले कहता है
अच्छा लगा पढ़कर.....सच्चाई भी है...बधाई
सुन्दर रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंकोई कसाई या पेशेवर हत्यारा अपनी आपाधापी में कहीं जा रहा हो और वो किसी से भी टकरा जाए तो वह पलट कहता है sorry. जब तक यह भावना है बापू मर नही सकता। बापू सिर्फ नाम या विचार नही है वो संस्कार है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, यदि अवसर मिले तो इसे भी देखिएगा।
जवाब देंहटाएंजालिम जी,
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य किया है आपने। मगर यह कविता जल्दी में लिखी गई लगती है, क्योंकि आप प्रहार की धार और तेज़ रखना चाहते थे लेकिन आपके सभी मनोभाव उभरकर सामने नहीं आ पाएँ। कविता में वह दम हो जिससे वो दूसरों को सोचने पर विवश करे। आपने जो बातें लिखी हैं वह अक्षरशः सत्य है, लेकिन तरीका वैसा होना चाहिए था पढ़ने वाले पर असर भी करे। उदाहरण के लिए आप 'लगे रहे मुन्नाभाई' की शैली देख सकते हैं।
अच्छी कविता आपको पढ़ने मे धीरे धीरे मजा आ रहा है।
जवाब देंहटाएंजो लोगों दिल में घर कर लेते है वो कभी नहीं मरते......जब तक इलेक्ट्रोनिक मिडिया रहेगा, ब्लोग रहेगा और आपकी कविता भी रहेगी.. बापू की याद बन कर.....साधूवाद
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना!! बधाई!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा सुनील बापू हर बार जन्म लेते है मगर कहीं न कहीं नाथूराम गोडसे भी जन्म लेता है...और इसीप्रकार हर बार बापू का कत्ल हो जाता है,...ये भी सच है बापू कुछ ही समय पर दिखाई देते है या तो चुनावो के दिनो में जब हर नेता के साथ भोंपू वाला गाता फ़िरता है..देदी हमे आज़ादी बिना खडग बिना ढाल,साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल...फ़िर नेता चुनाव जीतते है और बापू के भजन भी बन्द,या फ़िर बापू याद आते है गांधी जयन्ती को दो मिनिट का मौन रख कर...
जवाब देंहटाएंतो आखिरकार बापू जिन्दा है,नजर कभी-कभी ही
आते है....:)
सुनीता चोटिया(शानू)
जालिम भाई बधाई एक अच्छी रचना पढ़वाने के लिये.
जवाब देंहटाएंसुनिलजी,
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य किया है आपने, मुझे खेद है कि मैं इसे इतना विलम्ब से पढ़ पा रहा हूँ।
बापू के सिद्धांतो की मौत नहीं हो सकती, हाँ, उन्हें भूला जरूर दिया गया है इन दिनों, मगर इससे उनकी महत्वता कम नहीं हो सकती।
अच्छा लिखा है, बधाई स्वीकारें!
गांधीवाद को दिल में छुपा के रखें, क्योंकि यदि इसे दुनिया के बाजार में अपनाएंगे तो सिर्फ ठेंगा ही पाएंगे.... जानता हूं बात कड़वी है, पर है तो सच.
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