किसी के नाजुक हाथों से
'जालिम' दिल टूट गया
वो चले गए और
हमसे जमाना रूठ गया
इस गम को भुलाने को
जाम जो पकड़ा मैनें
हाय रे फूटी किस्मत
मुझसे प्याला छूट गया
ना जाम मिला
ना मिली मोहब्बत
जो भी मैनें चाहा
उसी को किस्मत ने लूट लिया
रूस्वाइयों के इस आलम में
जो सजदे करने मैं चला
साकी के पैमानों ने
मुझको फिर से रोक लिया
मयखानों की राह तकते तकते
बुतखाना पीछे छूट गया
मयखाना जब आया तो
मन ही मन मैं हर्षाया
पर तकदीर अपनी बड़ी निराली
बटुआ था सारा खाली
ना पैमाने छलके
ना हुई बन्दगी
हसरतों ने ऐसा मारा
सबकुछ पीछे छूट गया
हार गया जब सब से
सोचा खुदकुशी मैं कर लूं
बड़ी मुद्धतों से 'जालिम'
मुब्तिल्ग-जीस्त हो फंदा बनाया
फिर इस आरजू में
कहीं लौट ना आँए सनम कभी
मौत से बगाबत कर दी
इन्तजार में कयामत गुजर गई
ना वो आए ना मइयत उठी
कुछ एसा अफ़साना हुआ
ना जिन्दा हूं ना दफन हुआ
सुन्दर रचना है\ बधाई\
जवाब देंहटाएंमौत से बगाबत कर दी
इन्तजार में कयामत गुजर गई
ना वो आए ना मइयत उठी
कुछ एसा अफ़साना हुआ
ना जिन्दा हूं ना दफन हुआ
बढ़िया.
जवाब देंहटाएंAchha prayaas hai.
जवाब देंहटाएंबढ़िया है!
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना, बधाई
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली रचना थी.
जवाब देंहटाएंसही बयान किया है आपने हाल-ए-दिल..
जवाब देंहटाएंकरने वालों के लिये काम बहुत हैं
जवाब देंहटाएंपीने वालों के लिये जाम बहुत हैं
हर शय बिकती है इस जहां में
कुछ के कम कुछ के दाम बहुत हैं
मुन्नू रोंदा मत... हंस्दा रह.. सब ठीक होई जाणा है अप्पू ही
प्रिय सुनील,
जवाब देंहटाएंकितनी तड़प है कविता में,, जाहिर है ढेर सारी कशिश और व्दंदों में लिपटी कविता है।।
बधाई हो॰॰ ढेर सारी आशाएं हैं आपसे॰॰॰
वाह भाई वाह,
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिखा है।
बधाई. कवितामें तड़प है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.
सुनील रचना बहुत सुन्दर है मगर हताशा से भरी...जैसे कि ना खुदा ही मिला ना विसाले सनम...ना इधर के रहे ना उधर के रहे...
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये भावनाओ का उफ़ान आवश्यक है जो भी दिल से आवाज निकलेगी दूर तक अवश्य जायेगी...मेरी शुभकामनाएं..
सुनीता(शानू)
कविता बहुत ही खूबसूरत है सुनिलजी,
जवाब देंहटाएंआप जिन भावों को लेकर इस कविता को रचने बैठे थे उन्हें पूर्ण रूप से पिरोने में कामयाब रहें है, कविता में निश्चित रूप से निराशा झलक रही है मगर मनुष्य जीवन में इस प्रकार की परिस्थितियाँ भी आती है, आपने इस परिस्थितियों को बखूबी समेट पायें है, बधाई स्वीकार करें।
रचना बहुत सुन्दर है बधाई
जवाब देंहटाएंकविता सुन्दर लगी..अच्छा लिखते हैँ आप.
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारेँ..
Last lines are the fantastic lines tat gives whole poem a different turn :)
जवाब देंहटाएंवो बात नहीं आ पाई, जिसकी तलाश थी.
जवाब देंहटाएंकविता बीच में ही भटक जाती है.
और बेहतर की प्रतीक्षा में
-गौरव
kaisae likhtae ho esa ki khud pr shrmindgi mehsus krtae hai hum.......
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