मंगलवार

मैं तो बस कलम चलाता हूँ


गीत और ग़ज़लें नहीं जानता
गद्य पद्य को नहीं मानता
भावों को कहता जाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

निर्मल सूर्योदय को जिस दिन देखूं

पवन किरणों से लफ्ज बनाकर
प्रियतमा का चित्र बनाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

सावन के मेघों से रंग ले कर

गरजती बिजली संग ले कर
फूलों से रंगता जाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

हिमालय की सुन्दरता को

सिन्धु संगम से सजाकर
तस्वीर को महकाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

धान के खेतों के पानी में

आँगन की खुशबु को मिलाकर
मीठे मीठे शब्दों से सजाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

अर्ध
चन्द्र की उज्ज्वलता को
चंचल कलियों में लगाकर
प्रेम के सुर गाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

मुझको क्या मतलब कोरी कविता से

नीरस कवियों की नकली तारीफों से
मैं प्रेम का मोती चाहता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ

19 टिप्‍पणियां:

  1. खूब चली आपकी कलम तो --
    बहुत सुन्दर रचना दिया आपने.
    निर्मल सूर्योदय को जिस दिन देखूं
    पवन किरणों से लफ्ज बनाकर
    प्रियतमा का चित्र बनता हूँ
    वाह क्या खूब कहा है.

    जवाब देंहटाएं
  2. गीत और ग़ज़लें नहीं जानता
    गद्य पद्य को नहीं मानता
    भावों को कहता जाता हूँ
    मैं तो बस कलम चलता हूँ


    -इतना ही पूरी रचना है!! जबरदस्त है.

    जवाब देंहटाएं
  3. बस कलम ही चलाता हूँ ...इतनी सुन्दर भावाभियक्ति है सिर्फ कलम चलाने में तो कहना होगा ..बस कलम ही चलाते रहे ..बहुत शुभकामनायें ..!!

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छा लिखा है आपने बहुत मस्त

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर कविता भाई.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. मुझको क्या मतलब कोरी कविता से
    नीरस कवियों की नकली तारीफों से
    मैं प्रेम का मोती चाहता हूँ
    मैं तो बस कलम चलाता हूँ
    अरे सुनील जी आप कलम चलाते नहीं दौडा रहे हो बहुत सुन्दर कविता है बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. bhai waah kya kalam chalti hai aapki. kamal hai bas chalne dein apki kalam aise hi.
    shubhkamnaayin..

    जवाब देंहटाएं
  8. आप तो बहुत ही अच्छा लिखते है..पर ये जालिम वाली बात समझ में नहीं आई!कुछ अच्छा सा उप नाम रखिये न...

    जवाब देंहटाएं
  9. "मुझको क्या मतलब कोरी कविता से
    नीरस कवियों की नकली तारीफों से
    मैं प्रेम का मोती चाहता हूँ
    मैं तो बस कलम चलाता हूँ "

    भाई !! आप पत्रकारिता में क्या कम हो...अरे यहाँ तो बख्श दो....कविता में भी गुसपैठ करोगे तो हमारे बच्चे (जब भी होंगे) दाने दाने को मोहताज हो जायेंगे.....
    बहरहाल कविता बहुत अच्छी बन padi है....
    स्वागत है...

    आर्य मनु, उदयपुर.
    ommanuudaipur@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  10. bahuat hi sundar rachana hai.........

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़िया भाई सुनील डोगरा जी! इस उम्र मेँ ये विचार! बस, लिखते रहो!बहुत आगे जाओगे!
    www.omkagad.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह..अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....

    जवाब देंहटाएं
  13. खूब कलम चलाई है। आजकल क्यों बंद है?

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही अच्‍छी रचना। सुंदर प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं

Related Posts with Thumbnails